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थाना प्रभारी ने नहीं दी छुट्टी जिसकी वजह से हुई सिपाही की पत्नी और नवाजत शिशु की मौत - जालौन
Published at: Sep 10, 2024 at 03:28 PM
मैनपुरी का रहने वाला सिपाही विकास जिसकी ड्यूटी जालौन के रामपुरा थाने में चल रही थी उसकी पत्नी भी आरपीएफ में सिपाही के पद पर तैनात थी। पुलिसकर्मियों को छुट्टी न मिलने की शिकायत अक्सर कई बार सुनी जाती थी और एक ऐसा ही मामला जालौन के रामपुरा थाने से आया। सिपाही विकास ने काई बार प्रभारी निरीक्षक अर्जुन सिंह के सामने छूटी राखी पर उसकी एक बार भी नहीं सुनी गई। मामला जब गंभीर हो गया जब सिपाही की पत्नी को प्रसन्न पीड़ा शुरू हो गई सिपाही ने उसे समय प्रभारी के सामने अपनी छुट्टी का प्रस्ताव रखा पर प्रति प्रभारी ने छुट्टी देने के लिए साफ मन कर दिया। स्थिति जब ज्यादा गंभीर हो गई जब उसके परिजनों ने महिला सिपाही को सीएससी में भर्ती करा दिया जहां उसने एक नवाजत बच्ची को जन्म दिया जिसकी वहां पर बाद में तबियत बिगड़ गई जिसे डॉक्टरों ने आगरा रेफर कर दिया। दोनों को आगरा ले जाते हुए उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि सिपाही ने और उसकी बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सिपाही विकास जो कि 2018 बैच का भर्ती था और उसकी पत्नी भी आरपीएफ में सिपाही के पद पर तैनात थी। इस मामले में पूरे पुलिस विभाग में हडकंप मचा दिया और बाद मे इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रभारी निरीक्षक अर्जुन सिंह के खिलाफ विभागीय जांच की करवायी अमल में लाई गई। अपार पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी ने जांच करी जिसमें प्रभारी निरीक्षक दोषी पाए गए।
यह मामला था जालौर जिले का पर आपको जानकर हैरानी होगी कि काई बार पुलिस कर्मचारियों को छुट्टी देने से मन कर दिया जाता है जिसकी वजह से उनके घर पर लेट पहुंचने से किसी की काई बार मौत भी हो जाती है यह स्थिति काई बार हो चुकी है पर अभी तक इसके बारे में किसी भी अधिकारी ने संज्ञान में नहीं लिया है। मामला कुछ दिन तक मीडियम में रहता है फिर उसके बाद मामला ठंडा पड़ जाता है और सब इसके बारे में भूल जाते हैं पर अब इस बार काम नहीं चलेगा हमे जागरूक होना पड़ेगा, हमे इसके खिलाफ अपनी आवाज उठानी पड़ेगी। क्या पुलिस कर्मचारी इंसान नहीं है, उन्हें
भी तो अपने परिवार में समय देने का अधिकार होना चाहिए।
एक तो वैसे ही पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी अपने जिले से 200 - 300 किलोमीटर दूर रहती है और आधे से ज्यादा पुलिस वाले अकेले रहते हैं जिसकी वजह से वह अपने परिवार से दूर रहते हैं। उन्हें इस वजह से कई बार मानसिक दबाव बढ़ जाता है पर जब वो दबाव को दूर करने के लिए अपने छुट्टी का प्रयोग करते हैं अपने परिवार से मिलने के लिए तो उन्हें इस अधिकार से भी वंचित किया जाता है और इस वजह से काई बार पुलिस वालों ने अपनी जान भी दे दी है फांसी और खुद को गोली मार कर।
इस समस्या का समाधान हम सभी भाइयों को ही करना पड़ेगा उसके लिए हम सभी को उजागर होना पड़ेगा और इस पोस्ट को इतना शेयर करना पड़ेगा कि अपने सभी व्हाट्सएप ग्रुप में जिसकी यह विधानसभा में एक दिन चर्चा का विषय बन सके, धन्यवाद।